जिन लोगों ने पहले कभी शेयरों में निवेश नहीं किया है उनके लिए यह तय करना मुश्किल है कि शुरुआत कहां से की जाए। वैसे इक्विटी निवेश के दो तरीके होते हैं। एक तरीका यह है कि आप शेयरों का चुनाव और खरीद-फरोख्त खुद करें। दूसरा, इक्विटी फंड्स के जरिए निवेश करें। दोनों का अंतिम मकसद एक ही होता है - इक्विटी से सुपीरियर रिटर्न हासिल करना। हालांकि, दोनों एक्टिविटीज एक दूसरे से एकदम अलग हैं। अगर आप एक्सपर्ट नहीं हैं या इसके लिए ज्यादा वक्त देने को तैयार नहीं हैं तो खुद निवेश करने के बारे में सोचने का कोई फायदा नहीं। ऐसे में म्यूचुअल फंड्स बेहतर विकल्प होंगे।
ऐसे कई लोग हैं, जो अपना पोर्टफोलियो खुद मैनेज कर रहे हैं और बेहतर रिटर्न पा रहे हैं। हालांकि, 100 में से 5 या 10 को कामयाबी मिल पाती है। इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेश से इन दिक्कतों से छुटकारा पाया जा सकता है। इक्विटी निवेश का मूल मंत्र यह है कि आपकी नजर में कामयाब स्टॉक इनवेस्टिंग क्या है और इंफॉर्मेशन, एनालिसिस के आधार पर बनी निवेश योजना को अंजाम देने की क्षमता कितनी है। लेकिन म्यूचुअल फंड्स के जरिए इक्विटी निवेश के बहुत ज्यादा फायदे हैं। सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें अनुशासित डायवर्सिफिकेशन होता है। फंड मैनेजर्स संस्थागत दायरे में काम करते हैं जिसमें उन पर निवेश के कुछ नियम लागू होते हैं।
इसमें पोर्टफोलियो डायवर्सिफाइड रहेगा और इंडिविजुअल शेयर, सेक्टर या स्टॉक टाइप को लगने वाले झटके सुरक्षित रहेगा। दूसरा फायदा यह होता है कि इसमें छोटी रकम से निवेश शुरू किया जा सकता है। म्यूचुअल फंड्स में आप कुछेक हजार रुपये से शुरुआत कर सकते हैं। यह आसान भी होता है। इक्विटी फंड्स का एक और फायदा ये होता है कि लॉन्ग टर्म में इनसे ज्यादा रिटर्न मिलता है। शेयरों के अट्रैक्शन के हिसाब से सभी इक्विटी पोर्टफोलियो में उनकी कुछ खरीदफरोख्त होती है।

